कर्म और भाग्य की निराली महिमा, जिसने सही मर्म समझा-जाना, वह सफल हुआ
ज्योतिष कर्मशास्त्र का ही एक हिस्सा है भाग्य को कोई काट नहीं सकता, भाग्य ने जो लिख दिया समझो लिख दिया। इस बात से डरने की कोई वजह नहीं, क्योंकि भाग्य भी हम ही बनाते हैं।
और अगर आप पूर्व जन्म की बात करें तो फिर उस लॉजिक से कुछ भी समझाया जा सकता है!
ऐसा नहीं है, आप कर्म ही वो करते हो जो आपके भाग्य में लिखा होता है, इसका आपको पता नहीं चलता,आपको पता भी नहीं होता कि अगले एक घंटे में आप क्या सोचोगे, और आप ने आज जो सोचा है उसका नतीजा कैसा होगा,आप पहली बार कर्म करके असफल हो जाओगे या दस बार कर्म करने पर कामयाब होगे, ये website भाग्य ही निर्धारित करता है,क्या आपको मालूम है कि दो महीन बाद आप कौन सा कर्म करोगे या आपको कौन सा कर्म करना पडेगा, कोई अचानक आप को मिल जाएगा जो या तो आपकी ज़िन्दगी बदल देगा या नुक्सान कर देगा,कितनी बार हम ये सोचते हैं कि ओहो ये बात मेरे दिमाग में पहले क्यों नहीं आई, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है, कर्म अपने आप में सही है, लेकिन आप कर्म भी उतना ही कर पाते हो जितना आपने भाग्य में लिखा है, जैसे आप रोटी उतनी ही खा पाते हो जितना भगवान् ने आप को पेट दे कर भेजा है.
(मुझे लगा जैसे मैं अपने ही बनाये हुए जाल में फंस रहा था)
हर साल लाखों युवा हीरो बनाने मुंबई जाते हैं, पर क्या हेमशा वही हीरो बनता है जो सबसे मेहनती होता है….
हम सब ने बचपन में संस्कृत का एक श्लोक पढ़ा है
जीवन में लक्ष्य का होना ज़रूरी क्यों है ?
आचार्य जी-अरे वो आप कैसे कर सकते हैं, वह तो अपने भाग्य का लिखा भुगत रहे हैं, उनकी आप कैसे मदद कर सकते हैं?
प्रत्येक दया का कार्य, सत्य बोलना, दूसरों की मदद करना हमारे रिश्तों की गुणवत्ता में सुधार करता है क्योंकि हम एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं। नकारात्मक प्रतिक्रिया या चेतावनियों जैसे कि असत्य होना, असावधान होना, या बलपूर्वक होना रिश्तों को नष्ट करता है और इसके परिणामस्वरूप विरोध और बहिष्कार होता है।
मैं-जी, मैं आपसे ज्योतिष सीखने की इच्छा से आया हूं।
वाकई में कर्म ही हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l कर्म का महत्व बताती हुई हरिवंश राय बच्चन जी की एक कविता मुझे याद आ रही है l
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